Tue. Jul 2nd, 2024

Karva Chauth: मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है। सुहाग का प्रतीक माना जाता है करवा चौथ का व्रत इसलिए अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल रखती हैं। यह व्रत निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और इसका पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ करती हैं। फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही अपना व्रत खोलती हैं। यह व्रत हर हिन्दू महिला के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत होता है इसलिए इसे हर महिला पुरे दिल से करती है.(Karwa Chauth 2023)

प्रेग्नेंसी या पीरीयड्स में कैसे रखें करवा चौथ व्रत?

सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिनें करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन प्रेंग्नेंसी में महिलाएं फलाहार व्रत रख सकती हैं। वहीं, अगर महिलाओं को करवा चौथ व्रत में पीरीयड्स आ जाए, फिर भी वह अपना व्रत पूरा कर सकती हैं। कहा जाता है कि पीरीयड्स के दौरान पूजा-पाठ का सामान स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस दिन करवा माता का मन ही मन में स्मरण करें और घर के अन्य सदस्यों से पूजा करवा सकती हैं।(Karwa Chauth 2023)

करवा चौथ पर इन मंत्रो का करें जाप?

करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। तथा पति की आयु बढ़ती है. घर में सौभग्य बढ़ता है।

गणेश मंत्र- ॐ गणेशाय नमः
शिव मंत्र-  ॐ नमः शिवाय
मां पार्वती जी का मंत्र- ॐ शिवायै नमः
चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय मंत्र- ॐ सोमाय नमः
 

थाली फेरना

बहन पराई वीरां, चंद चढ़े तां पाणी पीणा…करवा चौथ की पूजा के दौरान थाली फेरते समय ये लाइनें बोलने की मान्यता है। 

चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?

करवा चौथ के दिन संध्या के समय कथा-पाठ करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। फिर इसके बाद पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन पति अपने हाथो से पत्नी का व्रत पारण करते है जिससे उनके मध्य प्रेम की प्रेम की भावना सदा बानी रहती है

चांद कब निकलेगा?

नई दिल्ली – रात 8:15 बजे
लखनऊ- 8:05 बजे
नोएडा- रात 8:14 बजे
गुरुग्राम- रात 8:16 बजे
मुंबई – रात 8:59 बजे
चेन्नई- रात 8:43 बजे
आगरा – रात 8:16 बजे
कोलकाता- शाम 7:46 बजे
भोपाल – रात 8:29 बजे
अलीगढ़ – रात 8:13 बजे
हिमाचल प्रदेश – रात 8:07 बजे
जयपुर 8:26 बजे
पटना- शाम 7:51 बजे
चंडीगढ़ – रात 8:10 बजे

संध्या पूजा विधि

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें। करवा चौथ मैं विशेष तौर पर संध्या पूजन की जाती है। शाम से पहले ही गेरू से पूजा स्थान पर फलक बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर लकड़ी का आसन स्थापित करें। अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें

करवा, दीपक, कांस सींक का महत्व 

करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है। करवा चौथ पूजा के दौरान इसी करवा में जल भरकर पूजन का महत्व है। वहीं, करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रख चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देखती है। मान्यता है ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। कांस की सींक शक्ति का प्रतीक है, जिसे करवा की टोटी में डालकर पूजा की जाती है। 

करवा चौथ व्रत कथा

एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्‍य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।

तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।

एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं।

पौराणिक मान्यता

ऐसी मान्यता है की करवा चौथ का व्रत पार्वती माता ने भगवान शिव के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा था। करवा चौथ व्रत को विधिपूर्वक सम्पन्न करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है। करवा माता उनके सुहाग की सदैव रक्षा कर अपना आशीर्वाद देती हैं।

करवा चौथ थाली

मिट्टी का करवा
आटे से बना दीपक
कलश
छलनी
फूल
अक्षत
कुमकुम
मिठाई
 

व्रत की अवधि

इस साल करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को शुभ योगों में रखा जाएगा। करवा चौथ 2023 के व्रत की अवधि 13 घंटे 42 मिनट रहने वाली है। सर्योदय के साथ सुबह 6 बजकर 33 मिनट से व्रत का आरंभ होगा, जो रात 8 बजकर 15 मिनट के आस-पास चंद्रोदय पूजन के बाद समाप्त होगा। 

करवा चौथ व्रत पारण कब और कैसे होता है?

इस व्रत में न तो अन्न और न ही जल का सेवन किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत जहां ब्रह्म मुहूर्त से होती है वहीं, चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद इसकी समाप्ति होती है। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन के बाद ही किया जाता है। वहीं, व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए। 

करवा चौथ पूजा-विधि

1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें
2. मंदिर और घर की साफ-सफाई करें
3. सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूजा करें
4. करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लें
5. संध्या के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें
6. फिर चंद्रमा की पूजा करें 
7. चंद्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दें
8. पति को छलनी से देखकर आरती उतारें
9. फिर पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है।
 

करवा चौथ पूजा सामग्री लिस्ट

मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कांस की सींक, कलश, 8 पूरियों की अठावरी, अक्षत, फल, चंदन, श्रृंगार का सामान, व्रत कथा किताब, पीली मिट्टी, फूल, हल्दी, लकड़ी का आसान, सिंदूर, देसी घी, कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, मौली, मिठाई, छलनी, दीपक 

क्या न करें?

करवा चौथ का दिन सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कुछ कामों को करना अशुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन भूलकर भी काले, भूरे, नीले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन लाल, गुलाबी और हरें रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। वहीं, इस दिन अपने पति और घर के बड़े-बुजुर्गों को दुख पहुंचाने या निरादर करने से भी बचना चाहिए। 
 

करवा चौथ पर जरूर करें ये काम

16 शृंगार 
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं का व्रत है। इसलिए इस दिन 16 शृंगार करने का विशेष महत्व है। पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखा जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं सुहाग से संबंधित चीजें पहनकर सज-धजकर तैयार होती हैं और करवा चौथ की पूजा करती हैं। 

मेहंदी लगाएं
करवा चौथ पर मेहंदी लगाना सुहागिन महिलाओं के लिए जरूरी माना जाता है। हर शुभ काम में सुहागिनें मेहंदी लगाना पसंद करती हैं। इसलिए अगर आप करवा चौथ पर व्रत रखें या न रखें इस दिन मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है। 

कैसे करें व्रत शुरू ?

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह की सरगी खाकर किया जाता है। इसलिए अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी का सेवन करें। मान्यता है की सरगी का सेवन दिन की शुरुआत होने से पहले यानि सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। वहीं, सांस द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है। सरगी में 7 चीजों का सेवन करने का महत्व माना गया है।
 

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से 
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक 
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर 

करवा चौथ पर अद्भुत संयोग

कल करवा चौथ पर मृगशिरा नक्षत्र, बुधादित्य योग के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। वहीं, चंद्रमा अपनी उच्चराशि वृषभ में विराजमान रहेगें। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय और पति की आयु लंबी होती है।

करवा चौथ का व्रत कब?

करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हर साल रखा जाता है। इस साल करवा चौथ बुधवार यानि 1 नवंबर को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत का संकल्प लेकर सुहाग की लंबी उम्र की कामना करेंगी। 

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